
लेखक: क्रिस्टीन साबिल्लो प्रकाशक: मोंगाबे प्रकाशन तिथि: 20 फरवरी, 2025
न्यूजीलैंड ने पर्यावरण और स्वदेशी अधिकारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तारानाकी मौंगा, जो देश के नॉर्थ आइलैंड में स्थित एक पवित्र पर्वत है, को कानूनी व्यक्तित्व प्रदान किया है। यह पहली बार है जब न्यूजीलैंड में किसी पर्वत को कानूनी इकाई के रूप में मान्यता दी गई है, जो न केवल माओरी समुदाय के लिए इसके गहरे सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नया मार्ग भी प्रशस्त करता है। जनवरी 2025 में पारित इस कानून के तहत, इस पर्वत को अब उसके पारंपरिक माओरी नाम तारानाकी मौंगा से जाना जाएगा, जिससे उसका उपनिवेशी नाम माउंट एगमोंट आधिकारिक रूप से हट जाएगा। इसके अतिरिक्त, एगमोंट नेशनल पार्क को अब ते पापा-कुरा-ओ-तारानाकी के नाम से जाना जाएगा। इस कानून के अनुसार, तारानाकी मौंगा और इसके आस-पास की चोटियों को एक कानूनी व्यक्ति, ते काहुई टुपुआ के रूप में मान्यता दी गई है, जिसे सभी कानूनी अधिकार, कर्तव्य, दायित्व और जिम्मेदारियाँ प्राप्त होंगी।
न्यूजीलैंड पहले ही वर्षावनों, नदियों और यहां तक कि व्हेल और डॉल्फ़िन जैसे समुद्री जीवों को भी कानूनी व्यक्तित्व प्रदान कर चुका है, जो इस देश में पर्यावरणीय कानून में हो रहे व्यापक बदलाव को दर्शाता है। हालांकि, हवाई में मौना केआ और कोलंबिया में माउंट ज़िज़ुमा को पवित्र स्थल के रूप में विशेष सुरक्षा दी गई है, लेकिन तारानाकी मौंगा को कानूनी व्यक्तित्व प्रदान करना अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इसे एक स्वतंत्र कानूनी इकाई का दर्जा देता है। ओटागो विश्वविद्यालय की पर्यावरण अर्थशास्त्री विक्टोरिया काहुई के अनुसार, यह एक वैश्विक संरक्षण कानून में नई मिसाल कायम करता है।
तारानाकी के माओरी समुदाय के लिए यह पर्वत केवल एक भौगोलिक स्थल नहीं, बल्कि उनका पूर्वज है, जो उनकी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भौतिक जरूरतों का स्रोत है। लेकिन 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश क्राउन ने तारानाकी में माओरी की सहमति के बिना या उनके विरोध के बावजूद विशाल भूमि क्षेत्रों को जब्त कर लिया था, जिससे माओरी समुदाय का विस्थापन हुआ और उनकी पारंपरिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कई वर्षों तक माओरी लोगों ने अपनी भूमि वापस पाने के लिए संघर्ष किया। काहुई के अनुसार, इस कानूनी मान्यता को माओरी समुदाय के सैकड़ों वर्षों के प्रतिरोध और संघर्ष की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए, जिससे उनकी भूमि से जुड़ी विरासत को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
इस कानून के तहत एक प्रशासनिक निकाय, ते टोपूनी कोकोरंगी, का भी गठन किया गया है, जो ते काहुई टुपुआ की ओर से कार्य करेगा। यह निकाय आठ सदस्यों से मिलकर बना है—चार स्थानीय माओरी इवी (जनजाति) द्वारा नियुक्त किए जाएंगे और चार न्यूजीलैंड के संरक्षण मंत्री द्वारा। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि पर्वत से जुड़े सभी निर्णय पारंपरिक माओरी प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के संयुक्त प्रयास से लिए जाएँ। इस संरचना के माध्यम से, तारानाकी मौंगा को एक "कानूनी आवाज़" मिलती है, जिसे काहुई ने पर्यावरण कानून में "एक अनोखा और क्रांतिकारी कदम" बताया।
इस कानूनी मान्यता के प्रभाव केवल न्यूजीलैंड तक सीमित नहीं हैं। जैव विविधता का तीव्र क्षय और पर्यावरण पर बढ़ते आर्थिक दबाव को देखते हुए, प्राकृतिक संसाधनों को कानूनी व्यक्तित्व प्रदान करना संरक्षण के लिए एक शक्तिशाली तरीका साबित हो सकता है। कोलंबिया जैसे देशों ने पहले ही इस मॉडल को अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे स्वदेशी और स्थानीय समुदायों को अपने पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए अधिक अधिकार मिल रहे हैं। यह दृष्टिकोण पारंपरिक कानूनी ढांचे को चुनौती देता है, जो आमतौर पर आर्थिक विकास को प्राथमिकता देते हैं और पारिस्थितिकी को द्वितीयक स्थान पर रखते हैं।
तारानाकी मौंगा को कानूनी व्यक्तित्व प्रदान करना न केवल माओरी समुदाय के ऐतिहासिक अधिकारों को पुनः स्थापित करता है बल्कि यह एक ऐसा मॉडल भी प्रस्तुत करता है जिससे दुनियाभर में स्वदेशी अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण को कानूनी रूप से जोड़ा जा सकता है। यह प्रकृति को एक अधिकार प्राप्त इकाई के रूप में मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यावरण संरक्षण सिर्फ एक नीति का विषय न रहे, बल्कि एक कानूनी दायित्व बन जाए।
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