top of page

जीवी-दाह-हासा कार्यक्रम

लेखक की तस्वीर: Development ConnectsDevelopment Connects

 यह "जीवी-दाह-हासा" परियोजना एक समग्र पहल है, जिसका उद्देश्य सतत जलग्रहण प्रबंधन को बढ़ावा देना है। यह परियोजना प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को आजीविका सृजन के साथ जोड़ती है, जिससे ग्रामीण समुदायों का समग्र विकास संभव हो सके।


झारखंड हाई इम्पैक्ट मेगा वाटरशेड इनिशिएटिव के रूप में भी जानी जाने वाली यह परियोजना मिट्टी, जल संसाधनों और ग्रामीण आजीविकाओं को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है। यह सामुदायिक भागीदारी, जलग्रहण योजना और सरकार की योजनाओं, जैसे कि मनरेगा, को एकीकृत करके ग्रामीण विकास से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने का प्रयास करती है। परियोजना का लक्ष्य जल संसाधनों का संरक्षण, कृषि सुधार और आजीविका संवर्धन है।


"जीवी-दाह-हासा" अर्थात जीवन - जल - पृथ्वी परियोजना वर्ष 2021-22 में झारखंड में आदिवासी विकास के लिए भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन द्वारा प्रारंभ की गई थी। यह परियोजना यह दिखाने के लिए तैयार की गई थी कि जल प्रबंधन में किए गए छोटे निवेश कैसे महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ ला सकते हैं। इस तरह के निवेश ग्रामीण समुदाय को अनियमित वर्षा, सिंचाई की कमी, फसल असफलता और आजीविका असुरक्षा जैसी समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं।


इस परियोजना में दीर्घकालिक समाधान खोजने पर जोर दिया गया है ताकि बार-बार आने वाली समस्याओं का स्थायी हल निकाला जा सके। गतिविधियों में तालाब निर्माण, चेक डैम, वनीकरण और भूजल पुनर्भरण प्रणालियों का निर्माण शामिल है। इन उपायों का उद्देश्य पूरे वर्ष जल उपलब्धता सुनिश्चित करना और वर्षा पर निर्भरता को कम करना है।


ग्रामवासियों को सामूहिक रूप से धन की योजना बनाने और सरकारी योजनाओं या बाहरी वित्त पोषण अवसरों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। परियोजना के तहत समितियों का गठन, जल संरचनाओं का निर्माण, वृक्षारोपण और नई कृषि तकनीकों को अपनाने जैसे व्यावहारिक कदम प्रस्तुत किए जाते हैं, ताकि दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।


इस कार्यक्रम में सामुदायिक स्वामित्व को प्राथमिकता दी गई है। पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम सभाओं को हस्तांतरित अधिकारों के तहत योजना और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है। वार्ड सदस्यों, किसानों, गैर-सरकारी संगठनों और सरकारी अधिकारियों जैसे हितधारक मिलकर जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं और प्रभावी कार्यान्वयन में सहायता करते हैं।


परियोजना के अंतर्गत किसानों की प्रमुख चिंताओं की पहचान कर उन्हें हल करने का प्रयास किया जाता है, जैसे कि –

· कम उत्पादकता और बार-बार फसल विफलता

· कुओं और जलधाराओं में जल की कमी

· भूमि का क्षरण

इन समस्याओं का समाधान जल संचयन, फसल विविधीकरण, वृक्षारोपण और पशुओं के लिए चारा उत्पादन के माध्यम से किया जाता है।


परियोजना में मनरेगा के माध्यम से सतत विकास को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई गई है। इस योजना के तहत सुनिश्चित मजदूरी, उत्पादक परिसंपत्तियाँ और दीर्घकालिक आजीविका अवसर विकसित किए जाते हैं। विभिन्न गतिविधियों को मृदा उर्वरता बहाल करने, जल संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने और कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए योजनाबद्ध ढंग से लागू किया जाता है। संगठित सामुदायिक समूहों और तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग से यह कार्यक्रम विकास का एक मजबूत आधार तैयार करता है।


इस परियोजना के माध्यम से ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने, प्रवास को कम करने और महिलाओं को मत्स्य पालन एवं बाजार संपर्क जैसी आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाने की योजना बनाई गई है। परियोजना गतिविधियों के परिणामस्वरूप जल अपवाह में 50% की कमी और जल उपलब्धता में 60% तक वृद्धि होने की उम्मीद है। इससे असिंचित भूमि को सिंचित खेतों में बदला जा सकेगा, जिससे फसल विविधीकरण और अधिक उपज प्राप्त करना संभव होगा। कृषि क्षेत्र का 50% भाग गहन खेती के अंतर्गत लाया जाएगा, जिससे उत्पादकता और आय में वृद्धि होगी।

 

जीवी-दाह-हासा अर्थात जीवन - जल - धरती एक परियोजना है जिसे भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन (Bharat Rural Livelihood Foundation) द्वारा वर्ष 2021-22 में झारखंड में आदिवासी विकास के लिए शुरू किया गया था। यह परियोजना जलग्रहण विकास (Watershed Development) के लिए एक पंचायत को सामुदायिक संगठनों को सशक्त बनाने और मनरेगा (MGNREGS) व अन्य विभागीय योजनाओं की भागीदारी आधारित योजना निर्माण में तकनीकी सहायता प्रदान करती है।

इस पहल के तहत जल संचयन संरचनाओं (Water Harvesting Structures) के निर्माण और वृक्षारोपण की स्थापना जैसी विभिन्न गतिविधियाँ की जाती हैं। जीवी-दाह-हासा कार्यक्रम समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System), मत्स्य पालन (Fisheries Promotion) और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) पर आधारित उच्च मूल्य कृषि (High-Value Agriculture) को प्रमुख आजीविका हस्तक्षेपों के रूप में बढ़ावा देता है।

 

 

 

 

 

 
 
 

Comments


रांची, कोलकाता और इंफाल में हमारे साथ जुड़ें

मोबाइल : ​ 8292385665;  मेल: info@dcdt.net

  • s-facebook
  • Twitter Metallic
  • s-linkedin
bottom of page